इस पाठ्यक्रम के माध्यम से विद्यार्थी को हिंदी भाषा की उत्पत्ति एवं विकास तथा उसके व्याकरणिक व साहित्यिक पक्ष की सामान्य जानकारी प्राप्त करवाना है। ताकि विद्यार्थी अपने भावों विचारों की अभिव्यक्ति प्रभावशाली ढंग से कर सके । गद्य और पद्य के साथ-साथ व्याकरण से विद्यार्थियों की भाषा का शुद्धीकरण भी होगा जिससे कि वह अपने कार्य क्षेत्र में भाषा के माध्यम से अपनी योग्यता सिद्ध कर सके।
हिन्दी भाषा का परिचय
देवनागरी लिपि और उसकी विशेषताएँ
सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ जागो फिर एक बार, भिक्षुक
हरिवंश राय बच्चनः पथ की पहचान
केदार नाथ अग्रवाल: यह धरती है उस किसान की
दुष्यन्त कुमारः हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए
बालमुकुन्द गुप्तः एक दुराशा
महादेवी वर्माः सिस्तर का वास्ते
हरिशंकर परसाईः भोलाराम का जीव
प्रत्ययः व उपसर्ग
संधि (केवल स्वर- दीर्घ, गुण, यण, वृद्धि अयादि)
समासः (अव्ययीभाव, द्वंद्व, द्विगु, कर्मधारय, तत्पुरूष, बहुब्रीहि)
मुहावरे व लोकोक्Ÿिायाँ (राजस्थानी)
विलोम, पर्यायवाची
संज्ञाः (व्यक्तिवाचक, जातिवाचक, भाववाचक)
सर्वनामः (पुरूषवाचक, अनिश्चयवाचक, निश्चयवाचक, प्रश्नवाचक, सम्बन्धबोधक, निजवाचक)
विशेषणः (गुणवाचक, संख्यावाचक, परिमाणवाचक, सार्वनामिक विशेेषण)
क्रियाः कर्म के अनुसार (सकर्मक, अकर्मक),
क्रिया विशेषणः (काल वाचक, स्थानवाचक, परिमाणवाचक, रीतिवाचक)